ग्राम सेवा सहकारी समिति बिनोता का मामला….
व्यवस्थापक ने अध्यक्ष को नहीं दी भवन की चाबी फाटक पर बांस लगाकर फहराया तिरंगा

ग्राम सेवा सहकारी समिति बिनोता का मामला….
व्यवस्थापक ने अध्यक्ष को नहीं दी भवन की चाबी फाटक पर बांस लगाकर फहराया तिरंगा
अमरभूमि न्यूज ✍️ मोहन लाल
निंबाहेड़ा। एक और जहां पूरे देश में बड़े धूमधाम के साथ गणतंत्र दिवस मनाया गया और लगभग सभी सरकारी कार्यालयों पर हमारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया गया।
लेकिन ध्वजारोहण को लेकर निंबाहेड़ा उपखंड के गांव बिनोता का एक अनूठा मामला सामने आया जो यह है कि ग्राम सेवा सहकारी समिति बिनोता के भवन पर चाबी नहीं होने के कारण समिति के अध्यक्ष द्वारा ध्वजारोहण नहीं किया जा सका मजबूरन उन्हें भवन की फाटक पर बांस लगाकर ध्वजारोहण करना पड़ा।
समिति के अध्यक्ष मांगीलाल भीमावत में बताया कि गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण कार्यक्रम की तैयारी के लिए 24 जनवरी को उन्होंने व्यवस्थापक से चर्चा की तो उन्होंने ध्वजारोहण कराने में आनाकानी की और कहा कि सिर्फ चार पांच जनों की उपस्थिति में गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण कर लेंगे इसके बाद जब अध्यक्ष द्वारा 26 जनवरी को व्यवस्थापक को वहां आने के लिए कहा तो वे वहां नहीं आए और उन्होंने यह कहकर मना कर दिया की चाबी कोई और ले गया है।
चाबी नहीं मिलने के अभाव में अध्यक्ष द्वारा ग्रामीणों की उपस्थिति में भवन की फाटक पर बांस लगाकर तिरंगा फहराया।
अब यहां सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर क्या कारण रहा की व्यवस्थापक ने ग्राम सेवा सहकारी भवन पर ध्वजारोहण नहीं होने दिया।
ऐसा करके उन्होंने लोक सेवक के दायित्व का उल्लंघन किया है जो जांच का विषय है।
इस मामले में जब व्यवस्थापक से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मेरे घर में किसी की मृत्यु हो जाने के कारण में चाबी नहीं दे सका लेकिन व्यवस्थापक का यह बयान भी मिथ्या लग रहा है क्योंकि व्यवस्थापक गणतंत्र दिवस पर ग्राम सेवा सरकारी समिति मिंडाणा के ध्वजारोहण में उपस्थित थे।
और यदि वास्तव में वहाँ पर नहीं थे और उनके परिवार में किसी की मृत्यु हो गई हो तो भी गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण करवाना लोक सेवक होने के नाते उनका नैतिक दायित्व था और किसी के भी साथ चाबी भेज सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
व्यवस्थापक द्वारा चाबी नहीं देने को लेकर अध्यक्ष द्वारा उपखंड अधिकारी विकास पंचोली को भी जानकारी दी गई लेकिन उस दिन उपखंड अधिकारी खुद गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य कार्यक्रम में व्यस्त थे।
अब देखना यह है कि उपरोक्त मामले को उच्चाधिकारी गंभीरता से लेंगे या नहीं।