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ऊंची दुकान फिके पकवान बन के रह गए मोतीचूर के लड्डू

चार प्रकार की वैरायटी में हुए वितरित,,दर अनुसार नहीं दिखी गुणवत्ता

ऊंची दुकान फिके पकवान बन के रह गए मोतीचूर के लड्डू

चार प्रकार की वैरायटी में हुए वितरित,,दर अनुसार नहीं दिखी गुणवत्ता

अमरभूमि न्यूज ✍️ मोहन लाल 

निम्बाहेडा़। नगर पालिका निम्बाहेडा़ ने गणतंत्र दिवस पर विद्यालयों में वितरित होने वाले लड्डुओं में नवाचार करते हुए इस बार मोतीचूर के लड्डू वितरित कराये जिनका टेंडर भी काफी अधिक दर 410 रुपए प्रति किलो के भाव से हुआ जिससे आमजन ने यह सोचा कि इस बार विद्यार्थियों को बेहतर वैरायटी के लड्डू मिलेंगे लेकिन नगरपालिका का यह नवाचार ऊंची दुकान फीके पकवान बनकर रह गया।

जितनी महंगी दर पर लड्डुओं का टेंडर हुआ उस दर के अनुरूप लड्डू में गुणवत्ता नहीं दिखी साथ ही चार-पांच वैरायटी के लड्डू वितरित हुए जो फोटो में स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं।

फोटो में बाजार की एक प्रतिष्ठित दुकान के देसी घी में बने मोतीचूर के लड्डू भी दिखाए गए हैं इससे नगर पालिका द्वारा वितरित कराए गए लड्डुओं की मात्र फोटो से तुलना करने पर भी साफ दिखाई दे रहा है कि लड्डू की गुणवत्ता और वैरायटी पर लड्डू बनाने वाले ठेकेदार ने ध्यान नहीं दिया।

इस मामले में नगर पालिका की निगरानी कमेटी भी सन्देह के घेरे में नजर आ रही है क्योंकि विद्यालयों में वितरित होने वाले लड्डू की देखरेख के लिए नगर पालिका कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाती है तथा उनकी निगरानी में ठेकेदार द्वारा लड्डू बनवाये जाते हैं ताकि गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं हो साथ ही ठेकेदार द्वारा शुद्ध सामग्री उपयोग में ली जा सके।

लेकिन यहां पर अलग-अलग रंग व वैरायटी मैं बने लड्डू यह कहानी बयां कर रहे हैं कि सिर्फ नाम मात्र का नवाचार हुआ है और महंगे भाव की तुलना अनुसार नहीं होकर यह काफी हल्की वैरायटी के बने हुए हैं।

अब देखना यह है कि नगरपालिका द्वारा इस मामले को गंभीरता से लिया जाकर ठेकेदार को किए जाने वाले भुगतान में से वैरायटी अनुसार कटौती की जाएगी या फिर राजनीतिक दबाव में आकर महंगी दर से भुगतान कर दिया जाएगा।

गौरतलब है कि हमारे द्वारा एक दिन पूर्व लड्डुओं के टेंडर में पारदर्शिता नहीं बरतनें का समाचार प्रकाशित किया गया था इसी क्रम में लड्डू वितरित होने के बाद यह सामने आया कि टेंडर ही नहीं बल्कि लड्डु बनाने में भी गाल मेल हुआ है जो बिना राजनीतिक संरक्षण के संभव नहीं है तथा इसमें कथित रूप से प्रचलित केकेवाय योजना का भरपूर असर दिखाई दे रहा है।

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